भोर की मुस्कान
भोर की मुस्कान :
-------------------------------------------------
रजनी को दे दी है बिदाई,उषा रानी आई जाती है,
भास्कर की मृदु किरणें आ कर जग को रोशन करती हैं।
पशु-पक्षी चल दिए खोजने निज बच्चों के हित भोजन,
हर मानव हैं व्यस्त हो रहा,करता नित नये आयोजन ।
रंग-बिरंगे फूल खिल रहे महक रहा है चमन - चमन,
नयी भोर का उदय हुआ है बहक रहा है मस्त पवन।
नयी सुबह मे नये जोश से निकल पड़े हैं लोग सभी,
नये उत्साह और नयी ऊर्जा से करने हैं अब काम सभी।
कल की असफलता से आया था जो दिल मे अवसाद,
आज भुला कर सभी उदासी, पूरे करने हैं सब काज।
तमस भरे दिल मे साहस भर प्रभु ने दिया सवेरा है,
तमस भरी रातें हैं बीतीं ,आया मृदुल सवेरा है।
लबों पर है मुस्कान सभी के और हृदय में दृढ़ विश्वास,
आज काम होंगे सब पूरे, पूरी होगी दिल की आस।
यही महत्व है ज्ञर सुबह का मानव को नव ऊर्जा मिलती,
नये उत्साह और साहस से दिल मे स्फूर्ति सदा रहती।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
madhura
11-May-2023 12:46 PM
nice
Reply
Abhinav ji
11-May-2023 08:34 AM
Very nice 👍
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-May-2023 08:45 AM
लाजवाब
Reply